हेलो दोस्तों क्या आपको पता है की Factfulness बुक को इसके ऑथर Hans Rosling आधा ही लिख पाए थे क्योकि इस किताब को लिखने के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी थी और बाद में उनके बेटे Ola और उनकी बहू ने इस किताब को पूरा किया | इस किताब की मुख्य थीम ये थी की इस दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है उन चीजो में हम सभी की राय एकदम गलत है | चीजे उतनी बुरी भी नहीं हैं जितना हम समझते हैं |
जैसे हम अखबार या टीवी चैनलों में पढ़ते और देखते हैं की पूरी दुनिया में कितने अपराध बढ़ गये हैं, कितनी नेचुरल डिजास्टर हो रही हैं और कितनी बुराईया बढ़ चुकी हैं लेकिन यदि हम अपनी कमरे की खिड़की से बाहर झांके तो हमे सबकुछ नार्मल दिखता है |
तो इन सभी का क्या मतलब है ? दोस्तों इन सभी का कारण है हमारे अंदर Factfulness की कमी का होना | और इनकी वजह है हमारे अंदर की 10 Instinct. जिसके बारे में लेखक ने इस किताब में बात की है |
दोस्तों Factfulness का अर्थ है की फैक्ट के साथ अपनी सोच रखना और फिर बात करना | क्योकि हमे सबसे पहले फैक्ट को चेक करने के बाद ही अपनी बात बोलनी चाहिए | वर्ना हम हमेशा अफवाहों में ही जियेंगे और हमे लगेगा की वाकई में इस दुनिया में बहुत परेशानिया हैं ये दुनिया अब रहने लायक नहीं हैं लेकिन सच्चाई ये हैं की ऐसा बिलकुल भी नहीं है |
Factfulness Book Summary In Hindi | Factfulness Audiobook Summary
हमारी Factfulness को ये 10 तरह की instinct बाधित करती हैं अगर हम एक बार इन instinct के बारे में जान लेंगे तो इन्हें काबू में करके आप आपनी factfulness को बढ़ा सकते हैं और अपनी गलत सोच से भी बच सकते हैं |
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1.The Gap Instinct
हमारी ये आदत होती हैं की हम किसी भी चीज को दो भागो में बांटते हैं और फिर उनमे गैप ढूँढ़ते हैं जैसे हम अमीरी-गरीबी में लोगो को बाँट देते हैं ऐसे ही हम दो देशो को भी विकसित और अविकसित में बाँट देते हैं लेखक का कहना है की हर चीज को दो भागो में बाँटना सही नहीं है |
अगर किसी में कोई कमी है तो वो उस चीज में सुधार कर सकता है सिर्फ आपस में बाँट कर हम किसी पर अपनी राय नहीं रख सकते हैं |
हमे अपनी ये प्रवृति छोड़नी चाहिए हर चीज को तराजू की तौलना बंद करना होगा कमियां सभी में होती हैं अब वो सुधार करना चाहे तो कर सकता है |
2.The Negativity Instinct (Factfulness Book In Hindi)
हमारी दूसरी instinct ये है की हम हमेशा लोगो में negativity देखते हैं किसी भी चीजो में नेगेटिव ढूंढते हैं उन्हें हर काम में असफलता नजर आती हैं उन्हें लगता है की ये काम जरुर fail हो जाएगा |
यही वजह है की काफी युवा सिर्फ 9-5 के जॉब के पीछे ही भागते हैं उन्हें सिर्फ रिस्क-फ्री लाइफ चाहिए होती हैं कोई भी नए कामो में एफर्ट नहीं लगाना चाहता है वे रिस्क लेने से घबराते हैं |
क्योकि उन्होंने हमेशा ही नेगेटिव देखा और सुना होता है और यही सोच उनके दिमाग में भी बस जाती हैं उन्हें लगता है की ये सारे बड़े काम बड़े लोगो के होते हैं जो इंटेलीजेंट होते हैं |
ऐसा ही नजरिया हम दुनिया के प्रति भी रखते हैं उन्हें लगता है की इस संसार में सारी चीजे बुरी ही हैं लेकिन लेखक ने बताया है की ऐसा बिलकुल भी नहीं है समय के साथ-साथ कई बुरी चीजे भी ख़त्म हुई है और काफी चीजो में सुधार भी हुआ है |
इसके साथ-साथ पॉजिटिव चीजे भी काफी बड़ी हैं इसीलिए आपका ऐसा सोचना भी गलत है सारी चीजे इस संसार में बुरी नहीं हैं हमे अपना नजरिया पॉजिटिव बनाना चाहिए |
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3.The Straight Line Instinct (Factfulness Summary In Hindi)
अगर किसी चीज में सुधार हो रहा है तो उसके सुधार होते ही उसके ग्राफ में एक सीधी रेखा दिखनी चाहिए जो हमेशा ऐसा ही रहे | लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही होता है क्योकि लाइफ में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं |
जैसे स्टॉक मार्किट में कोई भी शेयर ऊपर-नीचे होते रहता है एक समय वो नीचे आता है तोकुछ समय वो उपर चले जाता है ऐसे ही जरुरी नहीं है की किसी भी देश की इकॉनमी हमेशा उपर ही रहेगी | कई बुरी घटनाएं उसे प्रभावित भी करती हैं |
जैसे पर्सनल लाइफ में भी हमेशा सबकुछ सही नहीं होता है उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं एक चीज सुधरेगी तो दूसरी चीज बिगड़ जाएगी | ऐसे में हमे हमेशा तैयार रहना चाहिए |
4.The Fear Instinct (Factfulness Audiobook In Hindi)
जैसे प्रकृति ने भी हमारे अंदर fear के इमोशन डाले हुए हैं लेकिन ये तो सिर्फ हमारे survival के लिए था | जैसे आपके सामने अगर शेर आ जाए और आपको डर ही ना लगे तो ऐसा नहीं हो सकता | अगर आपके अंदर डर नहीं होगा तो सारी ह्यूमन स्पीशीज खत्म हो जाएगी | इसीलिए fear का हमारे survival में अहम् रोल होता है इसकी वजह से हम अपनी रक्षा करते हैं |
लेकिन fear का एक दूसरा रूप भी है और वो है बिना किसी लॉजिक का fear | कई बार हम बेवजह ही डरने लगते हैं और उसके पीछे की वजह नहीं जानते हैं जैसे अगर आपको भाषण देने को बोले तो आप डरने और घबराने लगते हैं आपकी दिल की धडकने बढ़ जाती हैं क्योकि ये डर बिना लॉजिक के होता है |
ऐसे ही टीवी में न्यूज़ चैनल वाले हमे फेक न्यूज़ बताकर डराते रहते हैं और कई महीनो तक वही बहस चलते रहती हैं |
क्या बिना जाँचे-परखे, सोचे-समझे हमे डर जाना चाहिए ? इसीलिए हमेशा फैक्ट चेक करके ही अपने नतीजो पर पहुचना चाहिए |
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5.The Size Instinct (Factfulness Book Review In Hindi)
जैसे कई बार हम पापुलेशन के साइज़ को लेकर भी अपनी गलत धारणायें बना लेते हैं जैसे बाहरी देश के लोग इंडिया में सिर्फ गरीबी, बेरोजगारी और प्रदूषण को ही लेकर हल्ला मचाने लगते हैं उन्हें लगता है की पूरी दुनिया की कमियां सिर्फ भारत में ही हैं और भारत को बदनाम करते रहते हैं |
माल लो अगर भारत में अपराध की दर 50% है और बाकी के देशो में लगभग 20% है तो इसका मतलब ये नहीं है की बाकी के देशो में काफी सुधार है शायद बाकी के देशो की आबादी की तुलना में वहां का अपराध दर ज्यादा हो | इसीलिए बिना वजह अपनी गलत राय नहीं रखनी चाहिए |
जैसे हमारे देश में बोला जाता है की कितने युवा देश में बेरोजगार है लेकिन वे लोग ये नहीं जानते हैं की आज के समय कितने युवा इंटरप्रेन्योर, बिजनेसमैन भी है जो खुद का काम कर रहे हैं और सरकार पर निर्भर भी नहीं हैं |
बिना फैक्ट-चेक के अपने अंदर नेगेटिव धारणा बना लेना गलत हैं |
6.The Generalization Instinct
कई लोग चीजो को generalize कर देते हैं जो की उनकी छोटी सोच को दर्शाती हैं कई बार हम दुसरे समुदाय की बुराई करने लग जाते हैं कभी-कभी तो उनके धर्म की भी बुराई करते है लेकिन हर समुदाय और धर्म में बुराई भो होती है तो अच्छाई भी होती हैं |
हम लोग कभी-कभी gender discrimination भी करने लग जाते हैं लड़के लडकियों के बारे में बुरा-भला बोलते हैं तो लड़कियां भी लडको के बारे में बुरी सोच रखती हैं जिसका उनके पास कोई प्रमाण नहीं होता है |
ऐसे ही अलग-अलग शहरो और राज्यों को लेकर भी लोग काफी रूढ़िवादी होते हैं उनके मन में एक-दुसरे के प्रति गलत धारणाये होती हैं | जैसे हमारे देश में लोग नार्थ इंडियन, साउथ इंडियन को लेकर काफी अलग-अलग विचार रखते हैं |
हमे इस तरह की instinct से बचना चाहिए और किसी भी चीज के पूरी पिक्चर पर अपनी नजर डालनी चाहिए तभी जाकर अपनी राय रखनी होगी |
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7.The Destiny Instinct
हमारे साथ कुछ भी बुरा होता है तो हम उसका दोष अपने भाग्य तो देते हैं अगर कोई सफल नहीं होता है तो उसका दोष अपने किस्मत को दे देना की मेरी तो किस्मत ही खराब है शायद ये मेरी किस्मत में ही नहीं हैं |
लेकिन अगर ठीक से देखा जाए तो क्या उस व्यक्ति ने सच में मेहनत की होगी ? क्या पता वो मेहनत करने के समय मौज-मस्ती कर रहा होगा और अंत में आकर शॉर्टकट के तरीके अपनाता होगा | या फिर वो उस काम को मजबूरी में कर रहा होगा और उसका उस काम में बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं होगा |
कई लोग दूसरो को देखकर ही काम करते हैं सामने वाला जो कर रहा होता है खुद भी वही करने लगते हैं वे अपना दिमाग नहीं लगाते हैं और सोचते हैं की मुझे भी सफलता मिल ही जाएगी | लेकिन जब अंत में ऐसा नहीं होता है तो खुद के भाग्य को कोसते रहते हैं |
8.The Single Perspective Instinct
ज्यादातर हम चीजो को सिर्फ अपने ही नजरिये से देखते हैं इससे हमारी सोच में भी कमी नजर आती हैं शायद हमारा नजरिया एक चीज के लिए बहुत सारा हो सकता हैं |
जैसे हम लोग आज के समय हो रहे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण, सूखा जैसी समस्या के बारे में सोचते तो हैं हम फैक्ट्री, कारखानों, गाडियों और भी ऐसी चीजे जो इन समस्या के कारण हैं उन्हें दोष देते हैं जो काफी गड तक सही भी हैं लेकिन सिर्फ दोष देने से ही कुछ नहीं होगा जब तक हम खुद से और अपने आसपास के लोगो के साथ मिलकर पहल शुरू नहीं कर देते हैं तब तक ये होता ही रहेगा |
और ना ही सरकार इन चीजो पर ठोस कदम उठाती हैं | इस तरह से हमारे कई perspective हो जाते हैं लेकिन काम किसी पर नहीं होता है |
9.The Blame Instinct
ये तो हमारी नेचुरल आदत होती ही हैं की हम अपनी गलतियों और कमियों का आरोप दूसरो पर लगा देते हैं | जैसे ऑफिस का कोई प्रोजेक्ट समय पर पूरा ना हुआ तो इसका दोष किसी employee पर डाल देते हैं लेकिन ये दलत आदत होती हैं क्योकि ऐसा कोई दूसरा आपके साथ भी कर सकता हैं गलतियां सभी से होती हैं | आरोप लगाने के बजाय हम उस काम में सुधार कर सकते हैं |
ऐसी आदतों से दूसरो के दिल में आपके प्रति कड़वाहट पैदा हो जाती है और वो बदला लेने की सोचता है ऐसे में यदि सच में सामने वाले का दोष होता है तो उसे अकेले में आराम से समझाएं | उसे इस तरह से समझाए की उसे खुद पर हीन भावना नही आनी पाए |
ऐसे में सामने वाले को अपनी गलती का एहसास भी हो जाएगा और वो बिलकुल भी insult feel नहीं करेगा | इसी तरह से लोग आस-पास की चीजो को ही जिम्मेवार ठहराते हैं |
इसीलिए आपको भी अपनी blame instinct को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए |
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10.The Urgency Instinct
जब भी हमे किसी बाहरी खतरे का एहसास होता है तो हमारी urgency instinct हमे अलर्ट कर देती हैं और हम तुरंत ही एक्शन लेते हैं | अगर सोसाइटी का हर आदमी ऐसा करे तो हडकंप मच सकता है जैसे कोरोना महामारी के समय हुआ था |
जब कही इमरजेंसी लग जाती है तो लोग खुद के बैकअप के लिए दुकानों में भीड़ लगा देते हैं उन्हें उसके सिवाय और कुछ नहीं दिखता है लेकिन ये सब बेकार का स्ट्रेस होता है हमे ऐसे में समझना चाहिए की वाकई में इन चीजो से हमे खतरा है? ऐसा करने से हम कभी भी हडबडाहट नहीं करेंगे |
Final Word :
I Hope दोस्तों आपको Factfulness की ये summary पढ़कर काफी अच्छा लगा होगा और काफी जरुरी बाते पता चली होगी | लेखक के द्वारा बताये गये ये 10 instinct के बारे में हमे जागरूक रहना चाहिए | किसी भी गलतफहमी के चक्कर में गलत निर्णय नहीं लेना चाहिए वर्ना आप हमेशा दुखी और स्ट्रेस ही रहोगे |